आठ दिशाएं Vaastu की:दक्षिण दिशा में रखना चाहिए भारी सामान, पूर्व दिशा में होनी चाहिए खिड़की, इस दिशा में सूर्य की किरणें प्रवेश करेंगी तो कई वास्तु दोष दूर हो सकते हैं

 

आठ दिशाएं Vaastu की:दक्षिण दिशा में रखना चाहिए भारी सामान, पूर्व दिशा में होनी चाहिए खिड़की, इस दिशा में सूर्य की किरणें प्रवेश करेंगी तो कई वास्तु दोष दूर हो सकते हैं

 Vaastu में घर की वस्तुओं के लिए शुभ-अशुभ दिशाएं बताई गई हैं। अगर चीजें सही दिशा में रखी होती हैं तो घर में सकारात्मकता बढ़ती है। Vaastu Experts Dr. Prriya Jain & Dr. Pradeep Jain के अनुसार Vaastu Disha- 8 बताई गई हैं, सभी दिशाओं का अलग-अलग महत्व बताया है। सभी दिशाओं के देवता भी अलग-अलग हैं। जानिए सभी आठ दिशाओं के बारे में...



पूर्व दिशा - अग्नि तत्व से संबंधित है। इस दिशा के स्वामी इंद्र हैं। ये दिशा सोने के लिए, पढ़ाई के लिए शुभ रहती है। घर में इस दिशा में एक खिड़की जरूर रखनी चाहिए। सूर्य की किरणों से घर में सकारात्मकता बनी रहती है।

 यदि पूर्व दिशा में कोई दोष होता है तो व्यक्ति के मान-सम्मान, तरक्की आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों शारीरिक सुख में कमी, मस्तिष्क संबंधी रोग, नेत्र रोग से संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप और सूर्य के आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

पश्चिम दिशा -  का संबंध वायु तत्व है। इसके देवता वरुण देवता हैं। पश्चिम दिशा में इस दिशा में रसोईघर बनाने से बचना चाहिए।

 पश्चिम दिशा पर शनि ग्रह का आधिपत्य है और  इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष होने पर व्यक्ति की सफलता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही कुष्ठ रोग, वात विकार, शारीरिक पीड़ा होने की आंशका रहती है। इस दिशा का दोष दूर करने के लिए शनिदेव की पूजा आराधना करनी चाहिए।

उत्तर दिशा -  जल तत्व से संबंधित है। इस दिशा के देवता कुबेर देव है। इस दिशा में मंदिर रख सकते हैं। घर का मुख्य द्वार भी दिशा में रख सकते हैं।

 उत्तर दिशा को धनदायक दिशा माना गया है। इस दिशा पर बुध ग्रह का आधिपत्य है और यदि इस दिशा में किसी प्रकार का कोई दोष होता है तो घर में रुपए-पैसों की किल्लत होने लगती है और सफलता एवं शिक्षा में बाधाएं आने लगती हैं। उत्तर दिशा के दोष को दूर करने के लिए बुध यंत्र की स्थापना करनी चाहिए साथ ही कुबेर देव एवं गणेश जी का पूजन करना चाहिए।

दक्षिण दिशा - का तत्व पृथ्वी है। इसके देवता यम हैं। इस दिशा में भारी सामान रखा जा सकता है।

 इस दिशा के अधिपति ग्रह मंगल हैं। यदि इस दिशा में किसी प्रकार का दोष हो तो परिवार में संपत्ति आदि को लेकर भाईयों में मतभेद की स्थिति बनी रहती है। इस दिशा का दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की आराधना शुभफलदायी रहती है।

उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण - का तत्व जल है। इसके देवता रुद्र हैं। इस दिशा में बाथरूम नहीं होना चाहिए। यहां मंदिर बनवा सकते हैं

 इस दिशा का अधिपति ग्रह गुरु और देवता भगवान शिव हैं। इस दिशा के दोष को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। इसके साथ ही यदि इस दिशा में कोई दोष है तो शिव जी की पूजा करनी चाहिए।

उत्तर-पश्चिम दिशा यानी वायव्य कोण - ये वायु तत्व का कोण है। इसके देवता पवनदेव हैं। इस दिशा में बेडरूम बनवा सकते हैं। इस दिशा में गंदगी नहीं होना चाहिए।

 इस दिशा पर चंद्र ग्रह का आधिपत्य है और इस दिशा के देवता वायुदेव हैं। यदि इस दिशा में किसी प्रकार का दोष हो तो मानसिक परेशानी, अनिद्रा, तनाव, अस्थमा और प्रजनन संबंधी रोगों का सामना करना पड़ता है। इस दिशा के दोष का निवारण करने के लिए नियमित शिवजी की पूजा-आराधना शुभफलदायी रहती है।

दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण -  में रसोईघर बहुत शुभ रहता है। ये स्थान अग्नि संबंधित है। इसका तत्व अग्नि और देवता अग्निदेव है।

इस दिशा पर शुक्र ग्रह का आधिपत्य है यदि इस दिशा में किसी प्रकारा का दोष होता है तो वैवाहिक जीवन में बाधा, संबंधो में कड़वाहट, प्रेम संबंध में असफलता जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि आपके घर की इस दिशा में दोष है तो उसे दूर करने के लिए घर में शुक्र यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।


दक्षिण-पश्चिम दिशा यानी नैऋत्य कोण -  का तत्व पृथ्वी है। इसके स्वामी राहु हैं। कहीं-कहीं इस दिशा के देवता नैरुत भी बताए गए हैं। इस दिशा में भारी चीजें रख सकते हैं।

 इस दिशा पर राहु-केतु का आधिपत्य होता है  यदि इस दिशा में किसी प्रकरा का दोष हो तो उसके निवारण हेतु राहु-केतु के निमित्त सात प्रकार के अनाज का दान करना चाहिए। इससे समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है।

 

 

 

Comments

Popular posts from this blog

Vastu Mantra for House in Gurugram - Bhaktamar Mantra Healing

Empowering Rural India: The Impact of Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act

Bal Vivah Roktham Abhiyan: A Comprehensive Strategy to End Child Marriage in India